आजादी के 75वा अमृत महोत्सव के बाद भी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना एक बहस का मुद्दा है।

       
       भारत विश्व की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। इस देश की विविधता मात्र भू-भाग तक ही सीमित नहीं है। भारत विश्व का सबसे बड़ा धर्म विविधता वाला देश भी है। यह हिंदू के साथ मुस्लिम, जैन, बौद्ध, ईसाई तथा पारसी भी सौहार्दपूर्ण रहते है।  आज भारत आजादी का 75वा अमृत महोत्सव मना रहा है। परंतु आज भी वही औपनिवेशिक ब्रिटिशकालीन धार्मिक  आडंबरयुक्त धार्मिक पर्सनल लॉ मौजूद है। जैसे -  मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट 1937” हिंदुओ का पर्सनल लॉ आदि।   भारत के आजादी के बाद भी कई सामाजिक-धार्मिक सुधार के कई कानून लाए। जैसे - बाल विवाह विरुद्ध कानून, विधवा विवाह कानून, बहुविवाह निषेध कानून तथा हाल में ही तीन तलाक़ के विरुद्ध कानून बनाए गए। परंतु धार्मिक पर्सनल कानून के कारण संवैधानिक/ विधि कानून निष्प्रभावी है। आज आवश्कता है सभी सभी धर्मो पर एक समान कानून प्रभावी हो। हमारे  कानून निर्माताओं ने संविधान ने बकायदा संविधान के भाग - 4 में नीति निर्देशक तत्व अनुच्छेद - 44  में समान नागरिक संहिता को समाहित किया। ताकि भविष्य में सरकार इसे लागू करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने भी कई मामले में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए सरकार को निर्देश भी दिए है।  आज आवश्यकता है कि सरकार बिना किसी किसी वोटबैंक, बिना धार्मिक दबाव के इसे लागू करे। और अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करें।

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