ब्रिटिश भारत द्वारा अगस्त प्रस्ताव लाने के पिछे मंशा क्या थी? भारतीय कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग ने उसका विरोध क्यों किया? What was the intention behind bringing the August offer by British India? Why did the Indian Congress and the Muslim League oppose it?

    
          द्वितीय युद्ध के प्रारंभिक शरण में जर्मनी हिटलर का विजय असाधारण सफलता तथा बेल्जियम पोलैंड एवं फ्रांस के पतन के पश्चात ब्रिटेन की स्थिति अत्यंत नाजुक हो गई। ब्रिटेन साम्राज्यवाद पर बढ़ता हिटलर का खतरे के कारण ब्रिटेन ने समझौताकरी दृष्टिकोण अपनाया। इसीलिए युद्ध में भारतीय का सहयोग प्राप्त करने के उद्देश्य से 8 अगस्त 1948 को वायसराय लिनलिथगो ने एक घोषणा की, जिसे अगस्त प्रस्ताव के नाम से जाना जाता है।

•  प्रस्ताव के निम्न प्रावधान ~~

•  भारत के लिए डोमिनियन स्टेटस मुख्य लक्ष्य।
• भारतीयों को सम्मिलित कर युद्ध सलाहकार परिषद की स्थापना करना।
• वायसराय की कार्यकारिणी परिषद का विस्तार कर भारतीय सदस्यों की संख्या बढ़ाना।
• युद्ध के पश्चात संविधान सभा का गठन करना।
• अल्पसंख्यक हितों की रक्षा।

  कांग्रेस ने इस प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया। क्योंकि पूर्ण स्वाधीनता का लक्ष्य के विपरीत डोमिनियन स्टेटस उसे स्वीकार नहीं था। गांधी जी ने घोषणा की -- "अगस्त प्रस्ताव के रूप में सरकार ने जो घोषणा की है उनसे राष्ट्रवादियों तथा उपनिवेश क सरकार के बीच खाई और चौड़ी होगी।" नेहरू जी ने कहा  "डोमिनियन स्टेटस का मुद्दा पहले ही अप्रासंगिक हो चुका है।" 
           
             यद्यपि मुस्लिम लीग ने प्रस्ताव में अल्पसंख्यकों के संबंध में दिए गए आश्वासन का स्वागत किया, किंतु प्रस्ताव में पाकिस्तान की मांग स्पष्ट रूप से स्वीकार न किए जाने के कारण उसने भी प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।
  यदि अगस्त प्रस्ताव को मूल्यांकन की दृष्टि से देखें तो निम्न बातें देखी जा सकती हैं। 

• इस प्रस्ताव में प्रथम बार भारतीयों द्वारा स्वयं संविधान निर्माण करने के तर्क को मान्यता दी गई।
• कांग्रेस की संविधान सभा गठित करने की मांग को स्वीकार किया गया।
• डोमिनियन स्टेटस के मुद्दे को भी स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया।
• वायसराय की कार्यकारिणी परिषद का विस्तार कर भारतीयों को प्रथम बार बहुमत दिया गया, किंतु रक्षा वित्त एवं ग्रह जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अभी भी अंग्रेजों का वर्चस्व बना रहा।

     ब्रिटिश सरकार की बिलकुल मंशा नहीं थी, कि भारत पूर्ण स्वतंत्रता दी जाए। इसके विरुद्ध भारतीय कांग्रेस तथा का व्यक्तिगत सत्याग्रह देखा जा सकता है।

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