हिंदू मात्र एक धर्म नहीं है, बल्कि एक जीने की पद्धति भी हैं!
अक्सर लोगों को हिंदू धर्म के बारे में पूछने पर यहीं मूंह से निकलता है। कि हिंदू धर्म का मतलब पूजा - पाठ , शास्त्रों जैसे गीता, रामायण, वेद - उपनिषदों का ज्ञान। क्या यही मात्र हिंदू धर्म है? मेरा मानना है, कि हिंदू धर्म को मात्र पूजा, शास्त्रों के संकीर्ण विचार तक सीमित रखना ठीक नहीं है। यह जरूरी नहीं है, कि शास्त्रों के ज्ञान से ही हिंदू धर्म को जानना। हिंदू मात्र एक धर्म नहीं है, बल्कि एक जीने की पद्धति हैं।
हिंदू धर्म ने ना केवल आध्यात्म के दर्शन है, बल्कि इन आध्यात्म में प्रकृति, योग, विज्ञान, व्यक्ति का विकास, समाज कल्याण( सर्वे भवन्तु सुखिन की कामना), संपूर्ण विश्व का कल्याण वसुधैव कुटुंबकम की सनातन मूल विचारधारा समाहित है।
आज विश्व पर्यावरणीय आपदा के चुनौतियों से परेशान है। और पर्यावरणीय साधारणीय की बात करते है। हमारे ऋषि मुनियों ने हजारों साल पहले प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर लिया था। वो आज भी हिंदू संस्कृति में प्रचलित है। पेड़ो को भगवान मानकर उसकी पूजा करना, प्रकृति के देवता के रूप में वर्षा के देवता इंद्र, वायु, अग्नि, जल तथा सूर्य की पूजा करना एक सनातन धर्म रहा है। जीवों एक प्रति सहिष्णुता और शाकाहारी की भावना विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्र में। पक्षियों को दाना देना, गाय, कुत्ते को पहली रोटी देना, चिटियो को आटा डालना। सभी पर्यावरण के प्रति हिंदू धर्म का गहरा लगाव देखा जा सकता है।
आज विश्व में विभिन्न देशों द्वारा परमाणु और रासायनिक हथियारों का आविष्कार के दावा करते है। वो हमारे ऋषि मुनियों ने तप - यज्ञों द्वारा पहले ही आविष्कार कर लिए थे।जीने हम ब्रह्मास्त्र कहते है। हमारे ऋषि मुनि भी महान वैज्ञानिक रहे हैं। आज भारत की परमाणु हथियार "पहले उपयोग नहीं" की नीति भी इसी संस्कृति से पोषित है।
आज भी हमारे महान गणितज्ञ आर्यभट्ट को सिर्फ शून्य की ख़ोज के लिए जाना जाता है। परंतु वे एक महान खगोलीय भी थे जिन्होंने विश्व सबसे पहले यह अनुमान लगा लिया था कि पृथ्वी अपने धुरी पर घूमती है। परंतु आज भी पुस्तको में निकोलस कोपरनिकस के बारे में बताया जाता हैं। यह जानकर भी हैरानी होगी। कि न्यूटन से 1000 साल पहले ही भारतीय गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त ने गुरुत्वाकर्षण की ख़ोज कर ली थी।
आधुनिकता के दौर में बदलती प्रौद्योगिकी, पश्चिमी संस्कृति तथा सोशल मीडिया के प्रभावों ने सामाजिक बदलावों को जन्म दिया है। जैसे - सयुक्त परिवार का पतन,पारिवारिक संबंधों में तनाव, लिव इन रिलेशनशिप की नई जीवन शैली, समलैंगिक विवाह, अकेलापन, तनावग्रस्त जीवन, पहनावा वेशभूषा में बदलाव आदि। ये हिंदू धर्म की उपज नहीं हो सकती।
में कहता हूं, कि भारत ही एकलौता देश है। जिनके ऋषि मुनियों ने सिर्फ भारत की सीमा में रहने वालो को ही परिवार नही माना। बल्कि पूरी दुनिया में रहने वालो को अपना परिवार माना। और वसुधैव कुटुंबकम् का संदेश दिया।
मनुष्यता का धर्म, सहिष्णुता की भावना, प्रकृति के प्रति प्रेम तथा जीवों के प्रति दया सभी हिंदू संस्कृति की देन है। यह कहना उच्चित नहीं होगा। कि हिंदू मात्र एक धर्म ही नहीं बल्कि एक जीवन पद्धति है। जो सभी को आत्मसात करती हैं।
Hindu dharam ek sanatan dharam h
ReplyDeleteSonuservi.s.r
ReplyDeleteगीता से ज्ञान मिला, रामायण से भाग्य से हिंदू धर्म मिला और किस्मत से हिन्दुस्तान
ReplyDelete👌👌👌
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