क्या कारण था कि भारत में इस्लामिक शासन भारतीय सभ्यता की आत्मा को परिवर्तन करने में असफल रहे?
भारत में लगभग 9 फ़ीसदी से 18 सदी तक इस्लामिक शासक रहे। परंतु वे तलवार के बल पर तो हिंदुस्तान को जीत लिया। परंतु धार्मिक एवं सामाजिक रूप से जीतने में कभी सफल नहीं रहे। प्राचीन काल में भी कई आक्रांता जैसे शक, कुषाण, यवन और हूण ने भारत पर आक्रमण किया। परंतु वह बाद में हिंदू धर्म को ही धारण कर उसे आत्मसात कर लिया था।
इस्लामिक साम्राज्य भारतीय सभ्यता को परिवर्तन करने में क्यों असफल रहे आइए जानते हैं।
1. इस्लामिक साम्राज्य के समय भारत की आबादी में लगभग दो - तिहाई से अधिक हिंदू आबादी रहती थी। जिससे अपनी धर्म संस्कृति से लगा था।
2. मध्यकाल में अधिकतर क्षेत्रीय राजा हिंदू थे। जैसे राजपूत मराठा आदि उन्होंने सल्तनत के आगे झुकना स्वीकार किया। परंतु धर्म संस्कृति का परित्याग नहीं किया।
3. अधिकतर मुस्लिम राजा सहिष्णु प्रगति के थे। जैसे अकबर हमेशा धर्मनिरपेक्ष की नीति रखी।
4. मध्यकाल में हिंदू पुनरुद्धार के रूप में उभरा। भक्ति आंदोलन ने लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया।
5. फिरोजशाह तुगलक, औरंगजेब ने कट्टरता की नीति अपनाई थी। परिणाम स्वरूप स्थानीय राजाओं की बगावत देखने को मिली। औरंगजेब की इस्लामिक नीति के विरुद्ध सिख धर्म गुरु तेग बहादुर धर्म की रक्षा के लिए शहीद हो गए। जो एक उदाहरण प्रस्तुत करता हैं।
6. भारत की अधिकतर हिंदू आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती थी। और शहरों में मुस्लिम अधिक थे। इस कारण धर्म का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा।
इसलिए हम कर सकते हैं कि मुस्लिम शासक भारत के विस्तारवादी नीति मैं तो सक्षम हो गए परंतु इस्लाम के प्रचार में सक्षम ना हो पाए। हिंदू और मुस्लिम दोनों के ज्ञान समान थे। परंतु आगे इस्लाम कटता में बदल गया। परंतु हिंदू धर्म में पुराने वेद पाठ, सामाजिक प्रथा, विद्यमान रही।
Comments
Post a Comment
you can give your suggestion