प्लासी का युद्ध - कारण एवं महत्व!

   
       प्लासी की लड़ाई 23 जून 1757 ई. को बंगाल के नवाब सिराज- उद - द्वोला और रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के बीच हुई। सिराज़ुद्दौला की सेना की संख्या लगभग 50000 थी तथा अंग्रेजों की सेना की क्या मात्र 3200 थी। परंतु सिराजुद्दौला के सेनापति मीर जाफर षड्यंत्र में शामिल होने के कारण सेना के एक बड़े हिस्से ने युद्ध में भाग नहीं लिया। जब सिराजुद्दौला को पता चला कि उसके बड़े-बड़े सेना नायक मीरजाफर तथा दुर्लभराय विश्वासघात कर रहे हैं तो वह अपनी जान बचाकर युद्ध क्षेत्र से भाग गया क्षेत्र से पहुंच गया। फिर वहां से अपनी पत्नी के साथ पटना भाग गया। कुछ समय पश्चात मीर जाफर के पुत्र ने सिराजुद्दौला की हत्या कर दी इस प्रकार अंग्रेजों का षड्यंत्र सफल रहा।

• प्लासी के युद्ध के पीछे कारण --

1.अंग्रेजों तथा सिराजुद्दौला के मध्य विवाद और विच्छेद- नवाब की आज्ञा के बिना अंग्रेजों की कंपनी द्वारा कलकता की किलाबंदी( फोर्ट विलियम), कम्पनी को दिए गए व्यापार अधिकारों का इसके अधिकारियों के द्वारा अपने व्यक्तिगत व्यापार के लिए दुरुपयोग किया जाना, कंपनी के कलकता में राजवल्लभ के पुत्र कृष्णदास को शरण देना और वह नवाब की इच्छा के विरुद्ध विशाल सरकारी धन को लेकर भाग जाना। 

2.सिराजुद्दौला द्वारा अंग्रेजों के विरुद्ध कार्यवाही साथ अंग्रेजों से शत्रुता लेना - पहले कासिम बाजार तथा फिर 20 जून 1756 ई. फोर्ट विलियम किले पर कब्जा करना। अंग्रेजों को काल कोठरी में बंद करना। इस कारण अंग्रेज फुल्टा द्वीप पर शरण लेना।

3. रॉबर्ट क्लाइव और एडमिरल वाटसन में बंगाल में आकर पुनः विरुद्ध कार्यवाही - जनवरी 1757 ई. में फिर कलकता पर अधिकार करना और मार्च 1757 ई. मैं चंद्रनगर पर आक्रमण कर अधिकार करना।

4. अलीनगर की संधि की अवहेलना का बहाना - अंग्रेजों द्वारा कोलकाता पर पुनः अधिकार करने के बाद फरवरी 1757 ई. अलीनगर की संधि की। दोनों पक्षों ने भविष्य में शांति बनाए रखने क्या वादा किया। परंतु रॉबर्ट क्लाइव ने संधि का उल्लंघन कर चंदननगर पर आक्रमण करके उस पर अधिकार कर लिया था। इस संधि का महत्व इसलिए भी हैं कि अंग्रेजों ने सिराजुद्दौला के खिलाफ युद्ध के लिए तत्कालीन कारण के रूप में अलीनगर की संधि के उल्लंघन को ही मुद्दा बनाया।
• प्लासी के युद्ध का महत्व - प्लासी की लड़ाई में अंग्रेजों की विजय का बंगाल के इतिहास का विशेष प्रभाव हुआ।
 1. अंग्रेजों की इस वजह से बंगाल के नवाब की स्थिति कमजोर पड़ गई भले ही यह विजय विश्वासघात या अन्य किसी साधन से प्राप्त की गई हो।

2. बाह्य रूप से सरकार में कोई अधिक परिवर्तन नहीं हुआ था और अभी भी नवाब सर्वोच्च अधिकारी था। लेकिन व्यवहारिक रूप से कंपनी के प्रभुत्व पर निर्भर था और कंपनी ने नवाब के अधिकारियों की नियुक्ति में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया।

3. नवाब के प्रशासन की आंतरिक कलह स्पष्ट रूप से प्रकट होने लगी और अंग्रेजों के साथ मिलकर विरोधियों के द्वारा किए गए षड्यंत्र ने अंतत व प्रशासन की शक्ति को कमजोर किया।

4. वित्तीय उपलब्धि के अतिरिक्त अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी ने फ्रांसीसी और डच कंपनियों को कमजोर बना कर बंगाल के व्यापार पर सफलतापूर्वक अपनी इजारेदारी को स्थापित कर लिया।
   
   अंग्रेजों की निर्णायक लड़ाई ने बंगाल में शक्ति का हस्तांतरण नवाब से अंग्रेजों के हाथों में हस्तांतरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।



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