स्थायी बंदोबस्त व्यवस्था क्या है? स्थायी बंदोबस्त व्यवस्था की विशेषताएं, उद्देश्य, लाभ और हानियां!

  
  1786ई में लॉर्ड कार्नवालिस गवर्नर जनरल का आगमन के दौरान उसके सामने लगान वसूली एक जटिल मुद्दा था। इसके समाधान के लिए कार्नवालिस ने वर्ष 1790ई. भू राजस्व की नई व्यवस्था लायी। जो स्थायी बंदोबस्त/ जमीदारी व्यवस्था या इस्तमरारी व्यवस्था के नाम से जानी गई।
उसने सबसे पहले बंगाल में प्रचलित भू राजस्व व्यवस्था का पूरा अध्ययन किया। उसके समक्ष तीन प्रमुख प्रश्न थे-

1. जमींदार या कृषक में से किसके साथ व्यवस्था की जाए?
2. कंपनी की भूमि की उपज का कितना भाग वसूला जाए?
3. भूमि व्यवस्था स्थाई बनाई जाए या अस्थाई बनाई जाए।

उपरोक्त प्रश्नों के हल के लिए राजस्व बोर्ड के प्रधान सर जॉन शार और अभिलेख पाल(Record keeper) जेम्स ग्रांट के साथ लॉर्ड कार्नवालिस का लंबा वाद विवाद हुआ। लॉर्ड कार्नवालिस ने जमींदारों को भूमि का स्वामी मान लिया और 1790 ईस्वी में उनसे 10 वर्षीय व्यवस्था की। जो 22 मार्च 1793 ई. में उसने इस व्यवस्था को स्थाई बना दिया। यह व्यवस्था भारत के बंगाल, बिहार, उड़ीसा,उत्तरप्रदेश के वाराणसी प्रखंड तथा कर्नाटक के उत्तरी भाग में लागू की गई थी जो मात्र भारत के 19% भाग था।
• स्थायी बंदोबस्त व्यवस्था की विशेषताएं ---

1. जमीदारों को भूमि का स्थाई मालिक बना दिया गया। भूमि पर उनका अधिकार पैत्रक और हस्तांतरणीय था। उन्हें उनकी भूमि से तब तक पृथक नहीं किया जा सकता था, जब तक वे अपना निश्चित लगान सरकार को दे रहे।
2. किसानों को मात्र रेयतो का नीचा दर्जा दिया गया। तथा उनसे भूमि संबंधी तथा अन्य परंपरागत अधिकार को छीन लिया गया।
3. जमीदारों, भूमि के स्वामी होने के कारण भूमि को खरीद या बेच सकते थे।
4. जमीदार, अपने जीवन काल में या वसीयत द्वारा अपनी जमीदारी अपने वैध उत्तराधिकारी को देख सकते थे।
5. जमीदारों से लगान सदैव के लिए निश्चित कर दिया गया।
6. सरकार का किसानों से कोई प्रत्यक्ष संपर्क नहीं था।
7. जमीदारों को किसानों से वसूल किए गए भू- राजस्व की कुल रकम का 10 /11 भाग कंपनी को देना था। तथा 1/11 भाग स्वयं रखना था।
8. तय की गई रकम से अधिक वसूली करने पर, उसे रखने का अधिकार जमीदारों को दे दिया गया।
9. यदि कोई जमीदार निश्चित तारीख तक, भू- राजस्व की निर्धारित राशि जमा नहीं करता था तो उसकी जमीदारी नीलाम कर दी जाती थी।
10. कंपनी की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।

कंपनी द्वारा भू राजस्व की स्थाई बंदोबस्त व्यवस्था को लागू करने का मुख्य उद्देश्य ---

1. अंग्रेजों को इंग्लैंड की तरह, भारत में जमीदारों का एक ऐसे वर्ग की आवश्यकता थी जो भारत जैसे विशाल देश पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए सामाजिक आधार प्रदान कर सके। उदाहरण - 1857 की क्रांति तथा आंदोलनों के दमन में जमीदारों का सहयोग मिलना।
2. कंपनी की आय में वृद्धि करना। क्योंकि भू राजस्व कंपनी की आय का अत्यंत प्रमुख साधन था अंततः कंपनी अधिक राजस्व प्राप्त करना चाहती है।

• स्थाई बंदोबस्त व्यवस्था के लाभ व हानियां ---

• लाभ: जमीदारों को -- 
1.जमीदारों को स्थाई रूप से भूमि का स्वामी बना देना।
2. लगान की एक निश्चित रकम सरकार को देने के पश्चात काफी बड़ी धनराशि जमीदारों को प्राप्त होने लगी।
3. अधिक आय से से कालांतर में जमीदार अत्यधिक समृद्ध हो गए तथा वे सुखमय जीवन व्यतीत करने लगे। बहुत से जमीदार तो गांव छोड़ कर शहरों में बस गए।

• सरकार को: ---
1. भारत में जमीदारों का एक ऐसे वर्ग मिल गया । जो भारत जैसे विशाल देश पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए सामाजिक आधार प्रदान कर सके। 
2. सरकार के आय में अत्यधिक वृद्धि होना। तथा आय निश्चित हो गई। अपने बजट तैयार करने में आसानी हुई।
3. सरकार लगान वसूली से मुफ्त हो गई। इसलिए प्रशासनिक व्यय में कमी आयी। दूसरा कंपनी अपना व्यापार अधिक ध्यान दे सकी।
 •अन्य ---
1.राजस्व वृद्धि संभावनाओं के कारण जमीदारों ने कृषि में निवेश किया। इसका परिणाम कृषि अधिशेष में वृद्धि हुई। कृषि में उन्नति  होने से व्यापार और उद्योग की प्रगति हुई।
2. जमीदारों से न्याय तथा शांति स्थापित करने की जिम्मेदारी ले ली गई । इस कारण जमीदार कृषि में ध्यान देने लगे।
3. सूबो की आर्थिक समृद्धि से सरकार को आर्थिक लाभ मिला।

• हानियां ---
1.किसानों में भूमि छीन ली गई। अब वे जमीदारों के मजदूर बनकर रह गए। कृषक जमीदारों के दया के पात्र रह गए।
2. वे जमीदार, जो राजस्व वसूली में उदार थे। भू राजस्व समय पर राजस्व वसूल जमा नही करा सके। उन्हें अपनी भूमि से हाथ धोना पड़ता था।
3. जमीदारों की समृद्धि होने से वे विलासतापूर्ण जीवन व्यतीत करने लगे। इसे सामाजिक भ्रष्टाचार बढ़ा।
4. स्थाई बंदोबस्त व्यवस्था ने कालांतर में राष्टीय स्वतंत्रता संघर्ष  को भी हानि पहुचायी। जमीदारों का यह वर्ग स्वतंत्रता संघर्ष में अंग्रेज भक्त बन रहा था। तथा कई अवसरों पर तो उसने राष्ट्रवादी के विरुद्ध सरकार की मदद की थी।
5. कृषक शोषण ने कृषक  आंदोलनों की पृष्ठभूमि तैयार करने में अप्रत्यक्ष भूमिका निभायी।

      इस प्रकार स्थाई बंदोबस्त व्यवस्था कुछ समय के लिए भले ही लाभदायक रही हो, किंतु इससे गई दीर्घकालीन लाभ प्राप्त नहीं हुआ  इसलिए कुछ स्थानों के अलावा अंग्रेजों ने इस व्यवस्था को भारत के अन्य भागों में लागू नहीं किया। स्वतंत्रता के पश्चात सभी स्थानों से इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया था।

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