महालवाड़ी पद्धति ! विशेषताएं एवम् दोष।

        लॉर्ड हेस्टिंग के काल में ब्रिटिश सरकार में भू- राजस्व की वसूली के लिए भू राजस्व व्यवस्था का संशोधित रूप लागू किया। जिसे महालवाड़ी बंदोबस्त कहा जाता है। यह व्यवस्था मध्य प्रांत, यूपी (आगरा) एवं पंजाब में लागू की गई। इस व्यवस्था के अंतर्गत 30% भूमि आयी
 
      इस व्यवस्था में भू- राजस्व का बंदोबस्त एक पूरे गांव या महाल में जमींदारों या उन प्रधानों के साथ किया गया, जो सामूहिक रूप से पूरे गांव या महाल के प्रमुख होने का दावा करते थे। यद्यपि सैद्धांतिक रूप से भूमि पूरे गांव या महाल की मानी जाती है, किंतु व्यवहारिक रूप से किसान महाल की भूमि को आपस में विभाजित कर लेते थे। तथा लगान, महाल के प्रमुख के पास जमा कर देते थे।  तदोपरांत ये महाल-प्रमुख, लगान को सरकार के पास जमा करते थे। मुखिया या महाल प्रमुख को यह अधिकार था कि वह लगान अदा न करने वाले किसान को उसकी भूमि से बेदखल कर सकता था। इस व्यवस्था में लगान का निर्धारण महाल या संपूर्ण गांव के उत्पादन के आधार पर किया जाता था।
• महालवाड़ी पद्धति की विशेषताएं --

1. भूमि लगान वसूली का अधिकार महाल प्रमुख या गांव के प्रमुख को दे दिया गया।

2. मुखिया या महाल प्रमुख को यह अधिकार दिया गया कि वह लगान अदा न करने वाले किसान को उसकी भूमि से बेदखल कर सकता था।

3.किसान महाल के पास लगान जमा करते थे। महाल-प्रमुख, लगान को सरकार के पास जमा करते थे।

4. इस व्यवस्था में लगान का निर्धारण महाल या संपूर्ण गांव के उत्पादन के आधार पर किया जाता था।
 
        महालवाड़ी बंदोबस्त का सबसे प्रमुख दोष यह था कि इसने महाल के मुखिया या प्रधान को अत्यधिक शक्तिशाली बना दिया। किसानों को भूमि से बेदखल कर देने का अधिकार से उनकी शक्ति अत्यधिक बढ़ गईं तथा यदा-कदा मुख्याओ द्वारा इस अधिकार का दुरुपयोग किए जाने लगा। इस व्यवस्था का दूसरा दोष यह था कि इससे सरकार या और किसानों के प्रत्येक संबंध बिल्कुल समाप्त हो गए।

Comments

Popular posts from this blog

प्रमुख विचारक जॉन लॉक के विचार ( John locks )