क्या भारत में ब्रिटिश विजय संयोगवश थी या उदेशयपूर्ण ?
इतिहासकार इस मूलभूत प्रश्न पर बहस करते हैं कि क्या ब्रिटिश की भारत विजय संयोगवश थी या इरादतन थी? इसमें विभिन्न इतिहासकारों का अपना- अपना मत था। जिन्हें हम आगे देखेंगे।
• ब्रिटिश की भारत विजय संयोगवश थी के पक्षकार :
जॉन सीले के नेतृत्व वाला समूह ब्रिटिश की भारत विजय को गैर इरादतन और संयोगवश मानता है। यह कहता है कि ब्रिटिश भारत में केवल व्यापार करने के लिए आए थे। और इस क्षेत्र पर कब्जा करने की उनकी कोई मंशा नहीं थी। वह ना चाहते हुए भी भारतीयों द्वारा स्वयं उत्पन्न किए राजनीतिक संकट में फंस गए थे। और भारतीय क्षेत्र को कब्जा करने के लिए उन्हें बाध्य किया गया।
• ब्रिटिश विजय को उदेश्यपूर्ण मानने वाले पक्षकार :
दूसरी और इतिहासकारों का एक समूह इस बात से सहमत नहीं था और मानता है कि अंग्रेज भारत में एक व्यापक एवं शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना हेतु आए थे। उन्होंने इसके लिए एक सुनियोजित रणनीति एवं योजना बनाई और धीरे-धीरे साल दर साल इस पर काम किया।
शायद शुरुआती दौर में अंग्रेजों ने गैर इरादे रूप से क्षेत्र को हासिल किया लेकिन बाद में भारत भेजे जाने वाले अंग्रेज राजनीतिज्ञ एवं प्रशंसकों ने क्षेत्रों पर कब्जा करने और एक साम्राज्य स्थापित करने की इच्छा थी। ज्यूडिथ ब्राउन के अनुसार - अंग्रेजों के अपने राजनीतिक प्रभाव को विस्तृत करने के निर्णय के लिए के कारक जिम्मेदार थे। अविलंब लाभ, प्रशासकों की व्यक्तिगत महत्वकांक्षाएं, लालच और यूरोप में राजनीतिक घटनाक्रमों के प्रभाव कुछ ऐसे कारक थे जिन्होंने भारत में अंग्रेजों को उनका राजनीतिक क्षेत्र बढ़ाने के लिए प्रवृत्त किया।
इस प्रकार यह कहा जा सकता था कि 18वीं शताब्दी में पश्चिमी यूरोपीय देशों ने अपने व्यापारिक एवं राजनीतिक हितों को सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक क्षेत्रीय विस्तार के चरण का आरंभ किया। और उपनिवेशों की स्थापना की। अंग्रेजों की भारत विजय को इस वैश्विक राजनीतिक घटनाक्रम के एक हिस्से के तौर पर देखा जा सकता है।
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