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Showing posts from June, 2023

रूस की क्रांति होने के क्या कारण थे? ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के साथ।What were the reasons for the Russian Revolution? with historical background.

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              1917 की रूस की क्रांति 20वीं सदी के विश्व इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना रही। 1789 ईस्वी में फ्रांस की राज्य क्रांति ने स्वतंत्रता, समानता और भ्रातत्व की भावना का प्रचार कर यूरोप के जनजीवन को गहरे स्तर पर प्रभावित किया। रूस की क्रांति ने न सिर्फ रूस और यूरोप को प्रभावित किया वरन विश्व के अनेक देशों पर गहरा प्रभाव डाला। रूसी क्रांति की व्यापकता अब तक की सभी राजनीतिक घटनाओं की तुलना में बहुत विस्तृत थी। इसमें केवल निरंकुश, एकतंत्री, स्वेच्छाचारी, जारशाही ही शासन का ही अंत नहीं किया बल्कि कुलीन जमीदारों, सामंतो, पूंजीपतियों आदि की आर्थिक और सामाजिक सत्ता को समाप्त करने करते हुए विश्व में प्रथम मजदूर और किसान की सत्ता स्थापित की। मार्क्स द्वारा प्रतिपादित वैज्ञानिक समाजवाद की विचारधारा को मूर्त रूप प्रथम बार रूसी क्रांति ने ही प्रदान किया। इस क्रांति ने समाजवादी व्यवस्था को स्थापित कर स्वयं को इस व्यवस्था के जनक के रूप में स्थापित किया। यह विचारधारा 1917 के पश्चात इतनी शक्तिशाली हो गई कि 1950 तक लगभग आधा विश्व इसके अंतर्गत आ चुका ...

हिंदू मात्र एक धर्म नहीं है, बल्कि एक जीने की पद्धति भी हैं!

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     अक्सर लोगों को हिंदू धर्म के बारे में पूछने पर यहीं मूंह से निकलता है। कि हिंदू धर्म का मतलब पूजा - पाठ , शास्त्रों जैसे गीता, रामायण, वेद - उपनिषदों का ज्ञान। क्या यही मात्र हिंदू धर्म है?  मेरा मानना है, कि हिंदू धर्म को  मात्र पूजा, शास्त्रों के संकीर्ण विचार तक सीमित रखना ठीक नहीं है। यह जरूरी नहीं है, कि शास्त्रों के ज्ञान से ही हिंदू धर्म को जानना। हिंदू मात्र एक धर्म नहीं है, बल्कि एक जीने की पद्धति हैं।    हिंदू धर्म ने ना केवल आध्यात्म के दर्शन है, बल्कि इन आध्यात्म में प्रकृति, योग, विज्ञान, व्यक्ति का विकास, समाज कल्याण( सर्वे भवन्तु सुखिन की कामना), संपूर्ण विश्व का कल्याण वसुधैव कुटुंबकम की सनातन मूल विचारधारा समाहित है।           आज विश्व पर्यावरणीय आपदा के चुनौतियों से परेशान है। और पर्यावरणीय साधारणीय की बात करते है।  हमारे ऋषि मुनियों ने हजारों साल पहले प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर लिया था। वो आज भी हिंदू संस्कृति में प्रचलित है। पेड़ो को भगवान मानकर उसकी पूजा करना, प्रकृति के द...

ब्रिटिश भारत द्वारा अगस्त प्रस्ताव लाने के पिछे मंशा क्या थी? भारतीय कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग ने उसका विरोध क्यों किया? What was the intention behind bringing the August offer by British India? Why did the Indian Congress and the Muslim League oppose it?

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               द्वितीय युद्ध के प्रारंभिक शरण में जर्मनी हिटलर का विजय असाधारण सफलता तथा बेल्जियम पोलैंड एवं फ्रांस के पतन के पश्चात ब्रिटेन की स्थिति अत्यंत नाजुक हो गई। ब्रिटेन साम्राज्यवाद पर बढ़ता हिटलर का खतरे के कारण ब्रिटेन ने समझौताकरी दृष्टिकोण अपनाया। इसीलिए युद्ध में भारतीय का सहयोग प्राप्त करने के उद्देश्य से 8 अगस्त 1948 को वायसराय लिनलिथगो ने एक घोषणा की, जिसे अगस्त प्रस्ताव के नाम से जाना जाता है। •  प्रस्ताव के निम्न प्रावधान ~~ •  भारत के लिए डोमिनियन स्टेटस मुख्य लक्ष्य। • भारतीयों को सम्मिलित कर युद्ध सलाहकार परिषद की स्थापना करना। • वायसराय की कार्यकारिणी परिषद का विस्तार कर भारतीय सदस्यों की संख्या बढ़ाना। • युद्ध के पश्चात संविधान सभा का गठन करना। • अल्पसंख्यक हितों की रक्षा।   कांग्रेस ने इस प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया। क्योंकि पूर्ण स्वाधीनता का लक्ष्य के विपरीत डोमिनियन स्टेटस उसे स्वीकार नहीं था। गांधी जी ने घोषणा की -- "अगस्त प्रस्ताव के रूप में सरकार ने जो घोषणा की है उनसे राष्ट्रवादियों त...

भारत के लिए मध्य - पूर्वी एशिया क्यों महत्वपूर्ण है?

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• मध्य - पूर्वी एशिया देश कौन-कौन से हैं? •मध्य - पूर्वी एशिया भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं? •अमेरिका - चीन की बढ़ती  मध्य - पूर्वी एशिया नीति में भारत के लिए क्या अवसर है!          एशिया  विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है। जो विश्व   भू - भाग का लगभग 30% है। जहां विश्व की 60% जनसंख्या निवास करती है। परंतु एशिया की राजनीतिक सांस्कृतिक एवं आर्थिक अध्ययन करने के लिए एशिया को अलग खंडों में बांटा गया है। जैसे - उतरी एशिया, मध्य एशिया, मध्य पूर्वी एशिया (पश्चिमी एशिया भी कहते हैं ) दक्षिणी एशिया और दक्षिणी पूर्वी एशिया । हालाकि इनकी कोई स्पष्ट रेखा नहीं है।                      (चित्र : मध्य - पूर्वी एशिया)         मध्य पूर्वी एशिया में लगभग 16 देश शामिल है। इसमें  बहरीन,तुर्की, सऊदी अरब, इजिप्ट (मिस्र), ओमान, यमन, ईरान, इराक, सीरिया, इजराइल, लेबनान, यूएई (संयुक्त अरब अमीरात), कतर, जॉर्डन, कुवैत, फिलिस्तीन और  साइप्रस देश शामिल है। •मध्य - पूर्वी एशिय...

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन से सबंधित महत्वपूर्ण आंदोलन और घटनाएं । जो आधुनिक भारतीय इतिहास की समझ विकसित करते है। (चित्र सहित)

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1. राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की स्थापना।  📍 ए ओ ह्यूम द्वारा 1885 में की थी  2. बंग - भंग आंदोलन।                📍1905 बंगाल के    ( स्वदेशी आंदोलन)।                   विभाजन के विरुद्ध।  3. मुस्लिम लींग की                     📍 1906 आगा खां   स्थापना ।                                    और सलीम उल्ला 4. कांग्रेस का विभाजन।                📍 1907 नरम दल  और गरम दल में विभाजन 5.होमरूल आंदोलन।                  📍1916 तिलक और                                                 ...

क्या राजा- रजवाड़ों के कारण भारत ब्रिटिश हाथों में चला गया था ? ( Did India go into British hands because of the princely states?)

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              मध्यकाल के अन्त में भारत में केंद्रीय शक्ति मुगल साम्राज्य के पतन तथा मुगल उतराधिकारी संघर्ष के परिणामस्वरूप कई क्षेत्रीय शक्तियों / रजवाड़ों ने अपने आप को स्वतंत्र घोषित कर दिया था। इसमें कुछ महत्वपूर्ण रियासते मैसूर, कर्नाटक, हैदराबाद, बंगाल, मराठा रजवाड़े, मारवाड़ के राजपूती रजवाड़े, जूनागढ़, कश्मीर रियासत तथा उत्तर पश्चिम में सिख रियासत प्रमुख थी। अब ये प्रश्न उठता है। कि क्या इन रियासतों  के आपसी स्वार्थों कारण भारत अंग्रेजों का गुलाम बना? आइए जानते है!                    (भारतीय रियासत कालीन मैप)     भारत में मुगलों के पतन के कारण भारत में केंद्रीय शक्ति शून्यता का अभाव के कारण रजवाड़ों ने अपने आप को स्वायत घोषित कर अपनी सीमाओं का निर्धारण कर दिया।  परंतु इन्ही रजवाड़ों की राज्य विस्तार की इच्छा, अपने राज्यों को बढ़ाने की कवायत ने आपसी संघर्ष को जन्म दिया।  दूसरी तरफ भारत में ब्रिटिश कंपनियां अपने धीरे - धीरे अपने पैर पसार रही थी। ब्रिटिश कंप...

यदि भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होता है तो क्या बदलाव आएगा।

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            केंद्र सरकार द्वारा जनता से समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड से संबंधित लोगों से अपनी राय मांगी है। जिससे लेकर पूरे देश में चर्चा शुरू हो गई है। किसी ने उसके समर्थन में, किसी ने उसके विरोध करना शुरू कर दिया है। आख़िर यदि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होता है, तो क्या बदलाव आ सकता हैं। 1 . शादी की उम्र: यूसीसी टेम्पलेट में सभी धर्मो की लड़कियों की विवाह योग्य उम्र एक समान करने का प्रस्ताव है। अभी कई धर्मो के पर्सनल लॉ और कई अनुसूचित जनजातियों में लड़कियों की उम्र 18 से कम हैं। अगर यूसीसी लागू होता है तो सभी लड़कियों की विवाह उम्र बढ़ जाएगी, जिससे विवाह से पहले ग्रेजुएट कर सके। 2. विवाह रजिस्ट्रेशन अनिवार्य: भारत में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और कई अन्य धर्म में रीति- रिवाजों से होने वाले विवाह को रजिस्टर करना अनिवार्य नहीं है। लोग तभी रजिस्ट्रेशन कर आते हैं, जब उन्हें पति - पत्नी के रुप में विदेश में जाना हो। यूसीसी में सुझाव है कि सभी धर्मों में विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। इसके बिना सरकारी सुविधा का ल...

आजादी के 75वा अमृत महोत्सव के बाद भी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना एक बहस का मुद्दा है।

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               भारत विश्व की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। इस देश की विविधता मात्र भू-भाग तक ही सीमित नहीं है। भारत विश्व का सबसे बड़ा धर्म विविधता वाला देश भी है। यह हिंदू के साथ मुस्लिम, जैन, बौद्ध, ईसाई तथा पारसी भी सौहार्दपूर्ण रहते है।  आज भारत आजादी का 75वा अमृत महोत्सव मना रहा है। परंतु आज भी वही औपनिवेशिक ब्रिटिशकालीन धार्मिक  आडंबरयुक्त धार्मिक पर्सनल लॉ मौजूद है। जैसे -  मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट 1937” हिंदुओ का पर्सनल लॉ आदि।   भारत के आजादी के बाद भी कई सामाजिक-धार्मिक सुधार के कई कानून लाए। जैसे - बाल विवाह विरुद्ध कानून, विधवा विवाह कानून, बहुविवाह निषेध कानून तथा हाल में ही तीन तलाक़ के विरुद्ध कानून बनाए गए। परंतु धार्मिक पर्सनल कानून के कारण संवैधानिक/ विधि कानून निष्प्रभावी है। आज आवश्कता है सभी सभी धर्मो पर एक समान कानून प्रभावी हो। हमारे  कानून निर्माताओं ने संविधान ने बकायदा संविधान के भाग - 4 में नीति निर्देशक तत्व अनुच्छेद - 44  में समान नागरिक संहिता को समाहित कि...